Tuesday, 18 February 2014
भारत में गांधीवाद के साकार रूप थे राजनीती में सर्व श्रेस्ठ गुलज़ारीलाल नंदा -के आर अरुण
भारत में गांधीवाद के साकार रूप थे राजनीती में सर्व श्रेस्ठ गुलज़ारीलाल नंदा -के आर अरुण
देश आज आज भी गांधीवाद का साकार रूप के मायने नहीं खोज पा रहा है। जनतंत्र उन गांधी वादियों की तलाश में भटक रहा है जो वास्तव में भारत के जनतांत्रिक असंतोष पर काबू पाने वाली राजनीती का उदय कर सके। अफ्रीका ने गांधी नेलशन मंडेला के रूप में खोज लिया था तो उसे विजय मिल गई ,लोकतंत्र के मायने मिल गये। भारत के देहात भी गांधी खोज रहे हैं और देश की राजनीती भी गांधी मार्ग खोज रही है ताकि भटकाव खत्म हो सके। लोकतंत्र लगता है सिमट रहा है यदि होत्ता तो इतना असंतोष न होता। राजनीती में जनादेश द्वारा बहुमत लेकर जूते चप्प्ल फेंकने वाली मानसिकता का सामना न करना पड़ता। संवेधानिक पदों पर बैठने वालों को धरना प्रदर्शन में अनशन की नौबत न मिलती।
१९६३ में भारत के गृहमंत्री के रूप में गुलज़ारीलाल नंदा जी ने इस असंतोष को समाप्त करने का विकल्प भारत सेवकों द्वारा संयुक्त सदाचार अभियान की नैतिक ज्योति जलाई थी। पंडित जवाहरलाल नेहरू जी नंदा जी की इन काब्लियतों के कायल थे इसलिए उन्होंने भ्रस्टाचार की पौराणिक अमरबेल को काटने के लिए लालबहादुर शास्त्री जी और नंदा जी से मंत्रणा की थी और इन दो महारथियोंं ने इसका हल भी खोज लिया था यदि लाल बहादुर शास्त्री तासकंद में म्रत्यु न होती तो गृहमंत्री नंदा जी शास्त्री १० साल में भारत भ्रस्टाचार मुक्त
नींद सोता।
आज लोकपाल के जरिये लोकायुक्त के जरिये भ्रस्टाचार हटाने की बात हो रही है आंखिर प्रधानमंत्री का मंत्रिमंडल और उसका विभाग या मुख्यमंत्री का विभाग इतना कमजोर केसे हो सकता कि उसे लोकायुक्त और लोकपाल के तामझाम की जरूरत पढ़ रही है। क्या वे ईमानदार सत्ता तंत्र के लिए जवाबदेह नही है। क्या जिसे चुनकर भेजा है उसे भ्रस्टाचार के कारणो के लिए सरकार के महा महिम हटा नही सकते अदालतें दोष मिलने पर सजा नही दे सकती। मुख्यमंत्री के मंत्रिमंडल के तंत्र की जवाबदेही के लिए लोकपाल क्यों चाहिए क्या न्याय पालिका पर भरोसा नही है। जाँच एजंसी न्याय पालिका के हवाले से जाँच कमीशन के सिस्टम में सुधर क्यों नही।
गांधीवाद अंदर के आदमी को जगाने की बात करता है। सत्य को स्वीकारना सिखाता है सत्य की राजनीती सदाचार है उससे किसी को भय नही लगता। भारत को असली गांधीवाद सदाचार से ही मिलेगा जो वास्तविक लोकतंत्र खड़ा कर सकेगा। उसकी मशाल भारत रत्न नंदा हैं उनकी बनाई हुई नीतियां सोध बोध मानती हैं अछि फिल्मे अछा साहित्य लोक सेवक मानती है जो वंश वाद पर सवाल खड़ा करने की बजाय उसपर चल सके। सवदेशी जागरण भारत के अंदर के आदमी में मिलेगा जो वास्तविक है,परिस्थिति का गुलाम बहरूपिया नही है। आजीवन किराये के मकान में रहे नंदा सिमित साधनो में नंदा जी का जीवन भारत रत्न की गरिमा देश में उन गांधी रत्नो की मांग क्रर रही है जो बिना गांधी गिरी के समाज के करीब हकीकत में खड़े हो सकें।
मेने गांधी जी की शिष्या डा शुशीला नेय्यर जी का बाल अवस्था में सानिध्य में रहते नंदा जी को पाया नशाबंदी आंदोलन , मानंव धम मिशन ,भारतीय लोक मंच से ३५ साल में नंदा जीवन को भारत की संस्कृति और मर्यादा पुरषोत्तम सहित श्री कृष्ण की गीता को समझने की कोशिश की जो गांधी मार्ग और नंदा सिद्दांत से भारत नव निर्माण का भविष्य तय करती है।
जय हिन्द - के आर अरुण चेयरमेन गुलज़ारीलाल नंदा फाउंडेशन ,09802414328
देश आज आज भी गांधीवाद का साकार रूप के मायने नहीं खोज पा रहा है। जनतंत्र उन गांधी वादियों की तलाश में भटक रहा है जो वास्तव में भारत के जनतांत्रिक असंतोष पर काबू पाने वाली राजनीती का उदय कर सके। अफ्रीका ने गांधी नेलशन मंडेला के रूप में खोज लिया था तो उसे विजय मिल गई ,लोकतंत्र के मायने मिल गये। भारत के देहात भी गांधी खोज रहे हैं और देश की राजनीती भी गांधी मार्ग खोज रही है ताकि भटकाव खत्म हो सके। लोकतंत्र लगता है सिमट रहा है यदि होत्ता तो इतना असंतोष न होता। राजनीती में जनादेश द्वारा बहुमत लेकर जूते चप्प्ल फेंकने वाली मानसिकता का सामना न करना पड़ता। संवेधानिक पदों पर बैठने वालों को धरना प्रदर्शन में अनशन की नौबत न मिलती।
१९६३ में भारत के गृहमंत्री के रूप में गुलज़ारीलाल नंदा जी ने इस असंतोष को समाप्त करने का विकल्प भारत सेवकों द्वारा संयुक्त सदाचार अभियान की नैतिक ज्योति जलाई थी। पंडित जवाहरलाल नेहरू जी नंदा जी की इन काब्लियतों के कायल थे इसलिए उन्होंने भ्रस्टाचार की पौराणिक अमरबेल को काटने के लिए लालबहादुर शास्त्री जी और नंदा जी से मंत्रणा की थी और इन दो महारथियोंं ने इसका हल भी खोज लिया था यदि लाल बहादुर शास्त्री तासकंद में म्रत्यु न होती तो गृहमंत्री नंदा जी शास्त्री १० साल में भारत भ्रस्टाचार मुक्त
नींद सोता।
आज लोकपाल के जरिये लोकायुक्त के जरिये भ्रस्टाचार हटाने की बात हो रही है आंखिर प्रधानमंत्री का मंत्रिमंडल और उसका विभाग या मुख्यमंत्री का विभाग इतना कमजोर केसे हो सकता कि उसे लोकायुक्त और लोकपाल के तामझाम की जरूरत पढ़ रही है। क्या वे ईमानदार सत्ता तंत्र के लिए जवाबदेह नही है। क्या जिसे चुनकर भेजा है उसे भ्रस्टाचार के कारणो के लिए सरकार के महा महिम हटा नही सकते अदालतें दोष मिलने पर सजा नही दे सकती। मुख्यमंत्री के मंत्रिमंडल के तंत्र की जवाबदेही के लिए लोकपाल क्यों चाहिए क्या न्याय पालिका पर भरोसा नही है। जाँच एजंसी न्याय पालिका के हवाले से जाँच कमीशन के सिस्टम में सुधर क्यों नही।
गांधीवाद अंदर के आदमी को जगाने की बात करता है। सत्य को स्वीकारना सिखाता है सत्य की राजनीती सदाचार है उससे किसी को भय नही लगता। भारत को असली गांधीवाद सदाचार से ही मिलेगा जो वास्तविक लोकतंत्र खड़ा कर सकेगा। उसकी मशाल भारत रत्न नंदा हैं उनकी बनाई हुई नीतियां सोध बोध मानती हैं अछि फिल्मे अछा साहित्य लोक सेवक मानती है जो वंश वाद पर सवाल खड़ा करने की बजाय उसपर चल सके। सवदेशी जागरण भारत के अंदर के आदमी में मिलेगा जो वास्तविक है,परिस्थिति का गुलाम बहरूपिया नही है। आजीवन किराये के मकान में रहे नंदा सिमित साधनो में नंदा जी का जीवन भारत रत्न की गरिमा देश में उन गांधी रत्नो की मांग क्रर रही है जो बिना गांधी गिरी के समाज के करीब हकीकत में खड़े हो सकें।
मेने गांधी जी की शिष्या डा शुशीला नेय्यर जी का बाल अवस्था में सानिध्य में रहते नंदा जी को पाया नशाबंदी आंदोलन , मानंव धम मिशन ,भारतीय लोक मंच से ३५ साल में नंदा जीवन को भारत की संस्कृति और मर्यादा पुरषोत्तम सहित श्री कृष्ण की गीता को समझने की कोशिश की जो गांधी मार्ग और नंदा सिद्दांत से भारत नव निर्माण का भविष्य तय करती है।
जय हिन्द - के आर अरुण चेयरमेन गुलज़ारीलाल नंदा फाउंडेशन ,09802414328
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