Tuesday, 23 April 2024

जला कर सदाचार की मशाल -अमर हो गया भारत माँ का लाल - -ऐसे थे निष्काम सेवा के भारतरत्न रत्न नंदा श्री गुलज़ारीलाल - के आर अरुण

//गुमनाम होकर भी जीवित हैं -आदर्श स्मरण // - देश में जबभी सच्चे सत्यनिष्ठा गांधीवाद आदर्श की बात होगी या श्रमिकों को दमन से निकालने और उनके लिए योजनागत आदर्श नीतियां बनाने के आदर्श तरीकों के निति निर्माण खोज होगी तो भारत रत्न श्री गुलज़ारीलाल नंदा के इतिहास पर अवश्य चर्चा होगी। गाँधीवादी श्रमिक राजनिति के जनक 1922 से ही गाँधी जी की बनाई संस्था मजूर महाजन संघ के सचिव रूप में 1946 तक सक्रिय रहे। वे हिन्दुस्तान मजदूर सेवक संघ सहित अनेक संस्थाओं में सरदार पटेल जी की अध्यक्ष्ता में सहयोगी रहे। आजादी की लड़ाई में श्रमिक नेतत्व सक्षमता का प्रदर्शन उन्होंने 1926 में ही अहमदाबाद में मिल मजदूर आंदोलन में सक्रियता दिखाकर पार्सद बने फिर नगरपालिका स्टेंडिंग कमेटी के चेयरमेन बनकर सिद्द किया की नंदा निश्चय ही स्वाधीनता में श्रमिक युद्द कौशल नायक होंगे। आजादी के बाद वे बाम्बे सरकार के मंत्रालय से त्यागपत्र देकर केंद्र में योजना आयोग के उपाध्यक्ष रुप में पंडित नेहरू सरकार में योजनागत विकास के स्तम्भ बनाये गए। उन्होंने योजना श्रम रोजगार सिचाई विधुत्त विभिन्न मंत्रालय का नेतत्व किया। उनकी योग्यता सक्षमता के कायल प्रधानमंत्री पंडित नेहरू ने योजना प्रक्रिया निर्माता रूप में वरिष्ठ स्थान दिया। 2 प्रधानमंत्रियों के निधन के बाद वे देश में 2 बार प्रधानमंत्री कुर्सी तक पहुंचे और वे ,तीन प्रधानमंत्रियों के कार्यकाल में गृहमंत्री रहे भारत की 3 पंच वर्षीय योजना प्रक्रिया निर्माण में उपाध्यक्ष रहे( प्रोफेसर अर्थशास्त्र )श्री गुलजारी लाल नंदा आध्यात्मिक समाजवाद हितैषी भारत की धर्म प्राण धरती में राजनैतिक सदाचार का जबरदस्त चेहरा थे। उन्होंने आध्यात्मिक समाजवाद को लोकतंत्र की मजबूती के लिए जीवित समाज की प्रखर भूमिका देने के लिए समय समय पर विभिन्न्न जरुरतों के लिए संस्थाओं का गठन किया ताकि केंद्र व राज्यों में सरकारों को योजनागत विकास में जाग्रत समाज की भागीदारी मिल सके। 1963 से 1966 के दौर में वे संयुक्त सदाच
ार मिशन की मशाल जलाने वाले भारत के गृहमंत्री रहे। भरस्टाचार के विरुध्द ऐतिहासिक कदम उठाये उन्होंने अपनी ही सरकार के एक नेता को भरस्टचार के आरोप में जेल भेजा। इसके बाद उन्हें सत्ता से दूर करने की रणनीति बनाई गयी ताकि वे प्रधानमंत्री या गृहमंत्री जैसे खास पदों से दूर हो जाएँ। नंदा जी ने लोकपाल का रास्ता बनाने के लिए लोकायुक्त का नेटवर्क मजबूत किया। भारत सेवकों की परम्परा की नीव् निर्माता नंदा जी ही थे जिससे की सत्ता के दमन का आरोप सरकार पर लगे इसलिए करप्शन मुक्ति के लिए जीवित समाज की भागीदारी के लिए संयुक्त सदाचार मिशन खड़ा किया गया। रेल मंत्री बतौर उन्होंने 11 सूत्रीय कार्यक्रम तहत वर्षों से भरस्टाचार की जड़ें जमाने वाला आपरेशन मुगल सराय सफलता का इतिहास बना उस समय भारत सेवकों की राष्ट्रीय लोक सेना का निर्माण नंदा जी ने किया। भारत सेवक समाज को ऐसी संस्था बनाई गयी जिसने केंद्र व राज्य की सत्ता को अनेक जनप्रतनिधि मिले जो मंत्री पदों की गरिमा बने। राजनैतिक सदाचार की मूल धारणा विश्व दर्पण में लाने के लिए नंदा जी की दिव्य सोच के कारण ही महाभारत रणभूमि के उजाड़ तीर्थों का कायाकल्प के लिए कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड की स्थापना की थी ताकि वंशवाद के दूषित अंधमोह धृतराष्ट्र के पुत्र दुर्योधन हठ के कारण हुए भयावह युद्द परिणाम को कुरुक्षेत्र धर्म क्षेत्र से सबक मिल सके। यही वह भारत की हरियाणा स्थित पवित्र धरती कुरुक्षेत्र है जहाँ भगवान श्री कृष्ण द्वारा गीत्ता ज्ञान का अमृत बरसाया था। नंदा जी द्वारा संस्थापित कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड हरियाणा सरकार की महान उपलब्धियों से आजतक गीता जयंती प्रसार में दुनिया में गीता ज्ञान अमृत बरसा रहा है । भारतरत्न श्री नंदा जी के परम् शिष्य कृष्ण राज अरुण जोकि दिल्ली सोसायटीज रजिस्टार में डेड दशक से गुलज़ारीलाल नंदा फाउंडेशन के चेयरमेन भी हैं और वरिष्ठ पत्रकार मीडिया संस्थानों में राष्ट्रीय स्तर सक्रिय है का कहना है कि आने वाले वर्षों में नंदा इतिहास संग्रालय केंद्र व् राज्य सरकार के साथ केडीबी के महान लक्ष्य में महामहिम अध्यक्ष्ता में देश को गौरन्वित करे ऐसी नंदा नैतिक ज्योति एक सच्चे भारत सेवक समाज की संरचना की ओर अग्रसर दिखेगी।