Wednesday, 1 May 2024

भारत के राज नैतिक कौशल के लिए राजनैतिक सदाचार जरूरी - नंदा फाउंडेशन

स्वाधीनता स्वस्थ लोकतंत्र की सांसें हैं इसका मजबूत संरक्षण केवल राजनैतिक सदाचार के आचरण से ही किया जा सकता है। नए भारत को पुनः अवतरित श्र्री राम का उदयमान होना शुभ संकेत माना जा रहा है अपितु यह तभी सम्भव है जब देश के लोकतंत्र को राजनैतिक सदाचार का ताबीज जनप्रतिनिधि विजयी होने के लिए पहने। दुनिया में इस समय युद्द का भीषण स्वरूप जो दिखाई दे रहा हैं निशचित ही यह मानवता को निगलने वाला बारुद् है यह और आगे ना बढ़े इसके लिए भारत को बार बार दोहराना होगा कि यह युग युद्द की बजाय विकास युग बनाने पर जोर दिया जाए ताकि तबाही का परिणाम देने वाले देश मानवता को जीवनदान दे सकें जैसे सम्राट अशोक ने प्रमाण दिया था। भारत के पास कई कौशल हैं उसकी धर्मप्राण धरती ने देवत्व को कई रूपों में जन्म दिया है, पीर पैगंबर इशू जीजस से लेकर एक से बढ़कर एक तपोबली राजा संत अविष्कार विद्दवान हुए। दुर्भाग्यपूर्ण समय वह भी था जब नेत्र विहीन धृत राष्ट्र के राजपाट में दुर्योधन जैसे हठधर्मी पुत्र मोह के कारण महाभारत युद्द ने महावीरों को धरती से खोया। इतना बड़ा नर संहार हुआ कि कुरुक्षेत्र की 48 कोष धरती पर हुआ की मानव कंकालों के पहाड़ बन गए। हरियाणा कुरुक्षेत्र की धरती धरा आज भी रक्त- रंजीत ही खुदाईयों में दिखाई देती है। 20 वी सदी में सदाचार की मशाल जलाने वाले तत्कालीन केंद्रीय गृहमंत्री भारतरत्न गुलज़ारीलाल नंदा ने 2 बार कैथल कुरुक्षेत्र से लोकसभा चुवाव लड़कर लोकसभा पहुंचे थे उन्होंने उजाड़ महां भारत युद्द स्थली सदियों से उपेक्षित धर्मक्षेत्र कुरुक्षेत्र के विकास के लिए कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड की स्थापना कर 22 साल तक उजाड़ तीर्थों का काल्प किया क्योंकि इसी धर्म क्षेत्र हरियाणा की धरती पर भगवान श्री कृष्ण ने गीता ज्ञान का अमृत बरसाया था। भारत रत्न नंदा जी चाहते थे कि दुनिया द्वेखें की अंध मोह शाशक का वंशवाद यदि दिशाहीन होने का परिणाम कितना घातक होता है। भारत रत्न नंदा जी का परम शिष्य गुलज़ारी लाल नंदा फाउंडेशन का अध्यक्ष संस्थागत उत्तरदाई होने के नाते मै भारत सेवक कृष्ण राज अरुण कहना चाहता हूँ की देश की आजादी नैतिकता मांग रही है इसके लिए राजनैतिक सदाचार देश की अहम जरूरत है। भारत में यदि श्री राम आस्था का केंद्र हैं तो भारत धरती का बैकुंठ धाम है। भारत की पवित्रता के संकट को दूर करने के लिए राजनीती में पनपने वाले दोष की मुक्ति केवल राजनैतिक सदाचार से दूर होगी। भारत दुनिया के लिए प्ररेणा स्तम्भ बने यह विश्व जन मानस भी ह्रर्दय भरी नजरों से देख रहा है। भारत की राजनीति के तेवर विश्व के लिए देवत्व पराक्रम वाले दिखेंगे तभी एक शसक्त भारत दुनिया के लिए प्ररेणा बन सकेगा। ====== लेखक कृष्णराज अरुण कंट्री एन्ड प
ॉलिटिक्स पत्रिका सम्पादक हैं तथा - भारतरत्न नंदा जी के परम शिष्य हैं और गुलज़ारी लाल नंदा फाउंडेशन के चेयरमेन सेंट्रल भारत सेवक समाज के राज्यों के प्रभारी अध्यक्ष हैं।

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