"भ्रस्टाचार का भस्मासुर के खिलाफ पहली आवाज उठाने का श्रेय गाँधीवादी श्रमिक राजनीती के जनक "भारत रत्ना "स्वर्गीय गुलजारीलाल नंदा को जाता है .जितने मुखर प्रखर विरोधी नंदा जी ने १९६३ से लेकर १९६६ के मध्य केंद्र शासन में भारत के ग्रह मंत्री के रूप में इस बीमारी के खिलाफ स्थाई इलाज का रास्ता निकाला और शासन और समाज को वैकल्पिक आधार बनाकर सदाचार जागरण की सीढ़ी देकर रास्ता निकाला था वह रास्ता आजतक अन्य कोई राजनेतिक नही निकाल पाया जिससे की देस की नई पीढ़ी को इस भयावह भ्रष्ट व्यवस्था में जीने का आदि होना पड़ता ?
भारत रत्ना गुलजारी लाल नंदा देस में पहले राजनीतिग्य ऐसे नेता थे जिन्हें सदाचार का ध्वझा का सम्मान जनत आ और संत समाज में मिला वे ही एक नेता थे जिन्होंने आजीवन गाँधी वाद के पद चिन्हों का पूरा अनुसरण करके जीवन के नेतिक सिधान्तों का पालन कर आनन्द लिया .वे सदाचार के रास्ते पर चल कर हर जटिल से जटिल कठिनाई का हंसते सामना करते थे ?वे सदाचार के रूप में मानवता के वैज्ञानिक थे,पूरी २० वीं सदी में वे अकेले ऐसे राजनेता रहे जिन्हें जनता के हकों का राजनेतिक विधुर कहा जाता था .
उनकी बने गई नीतियाँ भविष्य कि सचेतक थी जिनसे देस को आदर्श और उर्जा के साथ साथ अमन के रास्ते पर चलने कि संजीवनी थी .चाहे वह श्रमनीति हो या ओद्योगिक विकास कि निति हो या फिर मिलावट खोरी कि समस्याओं का समाधान हो या फिर योजना आयोग में २ बार उन्होंने जिस प्रकार कि नीतियाँ दी उनसे मूल्यवान समाज सीधा जुड़ा था भारत के ग्रह मंत्री के रूप में वे लोकायुक्त ,विजलेंस कमिसन देने वाले भागीरथ साबित हुए .लोकायुक्त यदि सही ढंग से गठित हो कर काम करते तो आज लोकपाल कि आवश्यकता ही नही थी ? देस कि सरकार और राजनीतिज्ञों को ऐसे भारत रत्ना के सम्मान में "नंदा आदर्श योजना "का विस्तार कर उन्हें गुमनामी से निकलना चाहिए ,ना की उन्हें गुमनाम बनाने की भूल करनी चाहिए तभी आने वाली पीढियां त्याग का स्मरण करने वाले हर नेता आदर्श को भूल नही पायेगी .नंदा जी का जन्म दिवस ४ जुलाई और स्म्रर्ती दिवस १५ जनवरी सरकार कि नजर से ओझल हैं ताकि मिडिया के पेज उन्हें याद कर सकें ?
के.आर.अरुण टीम लीडर , समाज कार्य एवं अनूसंधान केंद्र "गुलजारीलाल नंदा फाउंडेसन "ईमेल -NANDAINDIA101 @रेडिफ मेल .कॉम
भारत रत्ना गुलजारी लाल नंदा देस में पहले राजनीतिग्य ऐसे नेता थे जिन्हें सदाचार का ध्वझा का सम्मान जनत आ और संत समाज में मिला वे ही एक नेता थे जिन्होंने आजीवन गाँधी वाद के पद चिन्हों का पूरा अनुसरण करके जीवन के नेतिक सिधान्तों का पालन कर आनन्द लिया .वे सदाचार के रास्ते पर चल कर हर जटिल से जटिल कठिनाई का हंसते सामना करते थे ?वे सदाचार के रूप में मानवता के वैज्ञानिक थे,पूरी २० वीं सदी में वे अकेले ऐसे राजनेता रहे जिन्हें जनता के हकों का राजनेतिक विधुर कहा जाता था .
उनकी बने गई नीतियाँ भविष्य कि सचेतक थी जिनसे देस को आदर्श और उर्जा के साथ साथ अमन के रास्ते पर चलने कि संजीवनी थी .चाहे वह श्रमनीति हो या ओद्योगिक विकास कि निति हो या फिर मिलावट खोरी कि समस्याओं का समाधान हो या फिर योजना आयोग में २ बार उन्होंने जिस प्रकार कि नीतियाँ दी उनसे मूल्यवान समाज सीधा जुड़ा था भारत के ग्रह मंत्री के रूप में वे लोकायुक्त ,विजलेंस कमिसन देने वाले भागीरथ साबित हुए .लोकायुक्त यदि सही ढंग से गठित हो कर काम करते तो आज लोकपाल कि आवश्यकता ही नही थी ? देस कि सरकार और राजनीतिज्ञों को ऐसे भारत रत्ना के सम्मान में "नंदा आदर्श योजना "का विस्तार कर उन्हें गुमनामी से निकलना चाहिए ,ना की उन्हें गुमनाम बनाने की भूल करनी चाहिए तभी आने वाली पीढियां त्याग का स्मरण करने वाले हर नेता आदर्श को भूल नही पायेगी .नंदा जी का जन्म दिवस ४ जुलाई और स्म्रर्ती दिवस १५ जनवरी सरकार कि नजर से ओझल हैं ताकि मिडिया के पेज उन्हें याद कर सकें ?
के.आर.अरुण टीम लीडर , समाज कार्य एवं अनूसंधान केंद्र "गुलजारीलाल नंदा फाउंडेसन "ईमेल -NANDAINDIA101 @रेडिफ मेल .कॉम
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