Tuesday, 28 February 2012

भारत के उमड़ते सामाजिक असंतोष की समाप्ति के लिए असली गांधीवाद ही विकल्प -नंदा फाउंडेसंन

भारत के उमड़ते सामाजिक असंतोष की समाप्ति के लिए असली गांधीवाद ही एक मात्र विकल्प साबित हो सकता है ,इसके लिए देश में रास्ट्रीय पर्यावरण मित्र वाहिनी के वैकल्पिक श्रोत की तलाश आरम्भ की जा रही है ताकि सदाचार की नेतिक राह से आम, जनमानस में भारत और भारतीयता के राष्टवादी गुणों में देश की मानवता वादी धर्म की मानवीयता के सदाचार गुण नै पीढ़ी के आगे समस्याओं  के समाधान का रास्ता निकल सके ।
     पूर्व प्रधानमन्त्री भारत रत्न स्वर्गीय गुलजारीलाल नंदा का राजनीतिग्य व सामाजिक जीवन गांधीवाद के नैतिक सिद्दांतों का सदाचार मूल्य पालन में अनूठा इतिहास साबित हुआ है । वे जटिल से जटिल परिस्थिति में भी वे पारिवारिक जटिलताओं के बावजूद किसी भी प्रलोभन या अन्य कारणों में विचलित नही हुये जबकि वे शिखर राजनेतिक पदों पर देश की सर्वोच्च सत्ता में केंद्र बिंदु थे । उन्होंने पंडित नेहरु के शासन में स्वाधीन भारत की सत्ता में आधुनिक भारत के नव निर्माण में कभी भी अपने राजनेतिक जीवन को किसी भी गुट के आगे आदर्शों को गांधीवाद के मूल सिधांत से नही भटकने दिया चाहे वे आने वाले कल के लिए अपने लिए अनुयाइयों की फौज न क्र पाए हों पर वे सदाचार के पालन में राजनेतिक जनसेवा मंच को आकाश कूसूम की तरह पवित्र बनाने  की राह से नही चुके ।
    देश में भारत रत्न नंदा को योजना प्रक्रिया का निर्माता भी जाना जाता है -वे पहली व दूसरी पंचवर्षीय योजना को आजादी के सपनों का भारत नव निर्माण की जनक्रांति की रचनात्मक सफलता का मन्त्र दिलाने में योजना आयोग के २ बार वाइस चेयरमेन के रूप में पंडित जवाहर लाल  नेहरु के शासन के विस्वसनीय द्व्झा थे ।वे देश  में समाजवादी अर्थ व्यवस्था में ओद्योगिक क्रांति की स्थापना के जनक भी बने । उन्होंने ही कांग्रेस को निति और रीती और निति में दल की सुधारवादी रचनात्मक दिशा तय करने के लिए १९६० के दुसरे दशक में गाँधी जी के मन्त्र से सत्ता के सिधांत को संजीवनी देने के लिए अपने अटल फैसलों से सत्ता शिखर दल को समाजवादी कांग्रेस फॉर्म के रूप में नया चेहरा दिया । वे भारत की आजादी की उन राहों  के संघर्ष में अपनी सहादत देने वालों  का चेहरा सामने रख कर ही निति और रीती का पालन कर अपने आधीन मंत्रालयों में कानून बनाने की प्रक्रिया के दूरगामी परिणामो में गाँधी सिधांत को सामने रखते थे ।उन्होंने अपने साहसिक निर्णायक कार्यकाल में अपने आधीन मंत्रालयों  में दुनिया के आगे अनुसरण करने वाली सहिताएँ दी ।वे गांधीवादी  श्रमिक राजनीती के जंनक के रूप जाने गये । इंटक जेसी श्रमिक संस्था के संस्थापक रहे नंदा जी ने श्रम  निति,योजना निति,के साथ साथ ग्रह मंत्रालय  व रेल मंत्रालय को कई विकल्प दिए ।
      भारत को लोकपाल व्यवस्था  दिलाने के लिए उन्होंने 1963 में काफी ठोस कदम उठाये जिससे कि भारत के आम आदमी को शासन कि निति और रीती से न्याय कि उम्मीदों से वंचित न होना पड़े इसके लिए उन्होंने लोकायुक्त ,और विजलेंस कमिसन जेसी संस्था लोकपाल के सिद्दांतो  कि कमी को पूरा कर  एक शोषण विहीन समाज व्यवस्था कि रह बनाने के लिए ग्रह मंत्रालय को कई विकल्प धरी विभाग दिए जिसके साथ साथ सामाजिक सरोकारों से जुड़े पंडितों को सदाचार समितियों के गठन द्वारा देश को भारत सेवकों की जमात दी जो शासन की नीतियों को आम आदमी की राहत का विश्वास का मार्ग बन सके । इस योजना को वे राजनेतिक इछा सक्ति के जरिये समाज को जनप्रतिनिधियों  के विश्वाश की  ताकत पैदा करना कहते थे ताकि गांधीवाद से भारत अपनी अस्मिता को आजादी के सपनों का भारत बनने से विमुख न हो सके  ।
    आज भारत एक ऐसे पड़ाव में है जिसे राजनेतिक शाख  की गरिमा में नेतिक सिद्दांतों की आवश्यकता है जिसे केवल सदाचार के मन्त्र से ही गांधीवाद का अहिंषा यंत्र का  पाठ ही राजनेतिक प्रदूषण को केवल होनहार भागीरथ ही लोकतंत्र  को सच्चे पर्यावरण मित्रों की आवश्यकता है ताकि सामाजिक असंतोष को समाप्त करने में नेतिक ज्योति यात्रा में मानवता के वैज्ञानिक सम्पूर्ण बदलाव का जोश रास्ट्र वादी नागरिक भारत की राजनीती को अपनी रह बदलने के लिए आत्म विश्लेषण को विवश कर सकें तभी भारत स्वाधीनता के मूल्यों के संकल्प से भटकने के कारणों को दूर कर सकेगा ।       
लेखक - के.आर.अरुण - भारतरत्न नंदा के प्रमुख शिष्य एवं गुलजारीलाल नंदा फाउंडेसंन की समाज कार्य एवं अनुसन्धान अकादमी  के चेयरमेन हैं ।

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