Thursday, 14 March 2024
पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न नंदा चाहते थे देश में राजनैतिक सदाचार का उदय हो - कृष्ण राज अरुण
लोकतंत्र आजादी की सांसे है उसके मूल्यों का नैतिक वजुद कायम रखने के लिए राजनैतिक दलों में सदाचार का उदयमान होना आवश्यक हैं। गांधीवाद सत्य को स्वीकारता है चाहे उसके लिए कोई भी हानि क्यों ना उठानी पढ़े। प्र्रार्थना और प्रायश्चित लोकतंत्र के गुणों से सज्जित जनसेवा की राजनीती में उतरने वाले लोग कभी भी समाज की हानि नहीं होने दे सकते।
आज 21 वीं सदी में भारत उन मूल्यों की खोज में एक मजबूत जनादेश वाले राजनैतिक दल की सत्ता ने श्री राम जन्मभूमि में श्री राम का प्रतिबिम्ब तो लौटा दिया मगर अभी मूल्यों की कसौटी में उतारने की जरूरत पर मंथन की जरूरत पर शायद जनादेश के बाद कोशिश हो सकती है क्योंकि इसके बिना राष्ट्रवाद की कल्पना व्यर्थ है।
यहॉं यह वजह साफ़ है पिछले दशकों में राजनैतिक सदाचार के लिए जितनी भी कोशिश भारतरत्न गुलज़ारीलाल नंदा जी या लाल बहादुर शास्त्री जी ने नीव रखी वह व्यर्थ बनाने की भरपूर कोशीष हुई जिसका परिणाम राजनैतिक सदाचार के आभाव में भरस्टाचार विषबेल की भांति फैला अवसरवादिता के पंख जिस तरह से अवसर मिला सत्ता की पैठ बनाने में राजनैतिक दल अपराध की जड़ों तक हावी होते गए।
राष्ट्रीय कार्यों के सम्पादन में गिरावट प्रसाशनिक स्तरों पर मूल्य विहीन गिरावट एक बड़ा कारन है। अर्थात सरकार के तमाम दावे विफल करने में प्रसाशनिक पारदर्शिता लागू हो पाना असम्भव हो कर रह गया है। यह गंभीर विषय है चिंता का कारण भी कि भारत के गावों की साफ़ सुथरी संस्कृति अब लालच लोभ में जकड़ती जा रही है देश के खेत खलिहान अब देश के अन्न को जहर मुक्त बनाने की बजाय अधिक उपज के लिए कीट नाशक दवाओं का प्रयोग से जमीनी उर्वर्रा शक्ति की बलि चढ़ाने में किन्तित भी चिंतित ना होना अन्न विषैला होने से इंसानी मन भी मानवीय पक्ष से विमुख होने से पर्यावरण हरियाली दूषित जल संकट - एक कठिन दौर की तरफ हमे देखना पढ़ रहा है।
भारी उद्योग का कचरा और प्रदूषित जल निकासी का सही मार्ग तय ना होने से विषैला पानी नदियों की पवित्रता को नग्न करता जा रहा है यह कुपोषण समाज को विभिन्न रोगों से घेरते हुए कठिन भयावह रोग उतपन्न होने से देश की व्यवस्था संकट मय होती है वास्तव में यह कठिन चिंता का विषय है इसके लिए जन प्रतिनिधीयों का पर्यावरण मित्रों के साथ सरकार के विभागीय कर्तव्य मार्ग बनाना बेहद आवश्यक है।
नया ग्राम उद्योग और युवा मोदी सरकार का चेहरा -
ग्राम उद्योग को के नए रूप में नरेंद्र प्रधानमंत्री ने हाल ही में सभी से वोकल फॉर लोकल और भारत की प्रगति को आगे बढ़ाने का आग्रह किया। उन्होंने इस दिशा में 140 करोड़ भारतीयों की कड़ी मेहनत को भी स्वीकार किया।
वोकल फॉर लोकल देश का मिशन है कि हम वस्तुओं के उत्पादन, स्वावलंबन और आपूर्ति में आत्मनिर्भर बने तथा उत्पादित वस्तुओं का स्वयं उपभोग करें। यह घरेलू विनिर्माण क्षमताओं का लाभ उठाने तथा अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों पर इस स्पष्ट आह्वान के प्रभाव को समझने की दिशा में अंतिम कदम है।
निश्चय ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार नेतत्व में युवा शक्ति की ऊर्जा को अपने हुनर को मजबूत दिशा देने में सार्थक कदम MSME मंत्रालय ने मजबूत कार्य करने की नीव रखी है।
स्थानीय व्यवसायों को बढ़ावा देने के आह्वान ने सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (MSME) के लिये बाज़ार तक पहुँच बढ़ाने के नए रास्ते खोल दिये हैं। स्थानीय उत्पादों की बढ़ती मांग के साथ, MSME को उन बाज़ारों में प्रवेश करने के अवसर मिले हैं जहाँ पहले बड़े, बहुराष्ट्रीय निगमों का वर्चस्व था।
गौधन शक्ति जो केवल पूजा तक आस्था निमित थी उसे नया जीवन मिला -
MEME मंत्रालय की तारीफ़ को हम यूँही भुलाने नहीं देंगे क्योंकि कई क्रांतिकारी परिवर्तनों ने विभिन्न श्रोतों से आय और हुनर को ख्यातिमय बनाने के लिए युवा वर्ग को इस मंत्रालय ने एसोसिएट किया और उसके महत्व को प्रोत्साहित कर संस्थागत निर्माण मंच उसका पंजीकरण और नियम आधारित आर्थिक श्रोत के लिए स्टाटप - इत्यादि पंजीकरण की व्यवस्था दी।
गौ धन से जुडी महत्ता ने गाय गोबर से उत्पाद ने उध्यमी तैयार किये एक ऐसी क्रांति दी कि स्वयं सहायता समूह से लेकर कई लोग मुँह मोड़ने वाले आज गाय गोबर से चमत्कारिक उद्योग से तरह तरह के भारी उत्पाद तैयार करके एक भरपूर बाजार तैयार कर रहे हैं। उसमे गुलज़ारीलाल नंदा फाउंडेशन नेतत्व में अलग संस्था एमएसएमई से पंजीकृत उदयम उद्यमी विकास योजना जनकल्याण केंद्र अपनी उपयोगिता के प्रयास दिखा रहा है।
देश में लाखों ऐसे उद्यमी हैं जो MEME मंत्रालय में पंजीकृत होकर मेकइन इंडिया को सज्जित करने में रातदिन एक कर रहे हैं। आवश्यकता केवल इस जमीनी आंदोलन को गावों समाज को प्रोत्साहित करने और पर्यवरण हित के मुद्दे उजागर करने की है जिससे हमे शसक्त भारत खड़ा होने में रचनात्मक स्वरूप दिखाई दे सके। रचनात्मकता से जुड़े का विषय कार्य जब अपनी चमक दिखाते हैं तो गाँधी जी नाना जी देशमुख और दीं दयाल उपाध्याय जी या लाल बाहर शास्त्री जी से लेकर गुलज़ारीलाल नंदा का धेय स्वयंम जाग्रत हो जाता है।
भारत रत्न गुलज़ारीलाल नंदा एक ऐसा इतिहास है जो एक पुस्तक लेख में नहीं समेटा जा सकता क्योंकि उनकी पहल आजादी की लड़ाई में श्रमिक वर्ग के दमन को रोकने के लिए उनकी नीतियां इतनी हैं की उन्हें एकत्रित और शोध से राज्य सरकारें अपने श्रमिक कानूनों को ठोस रूप दे सकती हैं। उन्हें आजादी के बाद भी योजना आयोग का उपाध्यक्ष बनाकर पंडित नेहरू युग ने योजना प्रक्रिया का निर्माता रूप में तीन बार इतिहास रचा। गृहमंत्रालय सहित अनेक मंत्रालय में मजबूत का सहिंताएँ दी। कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड की स्थापना कर हरियाणा में महाभारत रणभूमि को उजाड़ तीर्थों के विकास कर गीताजयंती की विश्व ज्योति जाग्रत करने योग्य दिशा देने वाले भारत रत्न नंदा ही हैजिन्हे चाहकर भी नहीं भुलाया जायेगा।
(-लेखक-भारतरत्न नंदा जी के परम शिष्य हैं कृष्ण राज अरुण -सम्पादक कंट्री एन्ड पॉलिटिक्स -पत्रिका दिल्ली /चंडीगढ़ cont.9802414328--
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